बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

तमसो मा ज्योतिर्गमयः


आप सभी को सुख, समृद्धि और आनन्दमय जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं !

मानव स्वभावतः अंधकार से प्रकाश की ओर बढता है। मानव की इसी प्रवृत्ति ने तमसो मा ज्योतिर्गमय का गम्भीर घोष किया। दीपावली को आधुनिक और स्वस्थ संदर्भ में मानव के इसी स्वभाव का प्रतीक कहा जा सकता है। दीपावली भारत का सबसे उल्लासमय त्यौहार है। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, इसलिए इस दिन सभी वर्ष भर के लिए सुखी, समृद्ध और आनन्दमय जीवन की कामना करते हैं।

इस दिन घर-बाहर सब ओर उजाला करते हैं, ताकि अज्ञान का अंधकार दूर हो और ज्ञान का प्रकाश फैले, ताकि अभावों का अंधेरा मिट जाए और किरणों के प्रकाश में माता लक्ष्मी हमारे घर चली आए; अन्तर इतना ही है कि कोई हजारों बिजली के लट्टुओं और रंग-बिरंगी बत्तियों के जगमगाते आलोक से धन और ऐश्वर्य की देवी की राह को आलोकित करता है और कोई मिट्टी के टिमटिमाते दीयों से। पर इस त्यौहार के आनंद और उल्लास के भण्डार से अपना-अपना हिस्सा लगभग सभी वसूल करते हैं, क्योंकि खुशियां जिस उजाले की मोहताज है, वह बिजली के लट्टुओं या दीयों में से नहीं मन के भीतर से फूटता है।

केन्द्र और राज्य में इस बार प्रचण्ड बहुमत और जोश से भरी नई सरकार है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही आम आदमी महंगाई की मार से उबर जाएगा। हमें ऐसा ही सकारात्मक सोच हर दिशा में रखना चाहिए। कर्मचारियों को उन लोगों का खयाल करना चाहिए जो गरीबी में पिस रहे हैं, कर्मचारियों का बंधा हुआ कमीशन और मासिक बंदियां तो उनसे फिर भी नहीं छूट पाएगी और ही वर्तमान हालात में जब तक राजनीतिक इच्छा-शक्ति और आम जनता पूरी तरह नहीं जागती उनसे भ्रष्टाचार के कलंक को मिटाने की अपेक्षा भी नहीं की जा सकती; लेकिन अपने कार्यालय में आने वाले दुःखी-दर्दियों के प्रति मानवीय व्यवहार की अपेक्षा तो की ही जा सकती है, उनकी सुनें, उनका काम टालने की कोशिश करें, फाइलें दबा कर बैठें आदि.... आइये, उल्लास और आनन्द के इस अवसर पर अपने आप में कुछ तो इंसानियत और सद्व्यवहार लाने की कामना और संकल्प करें।

चुनावी मौसम तो चल ही रहा है। अब नगर निगम, परिषद पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव होने हैं। हम कोई ऐसा काम करें जो हमारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार कर दे, बल्कि पालिका और विधायिकाओं में बैठकर लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करने वालों जन-हित के विपरीत अपना स्वार्थ साधने वालों को अपने वोट के जरिए सबक सिखाएं, उन्हें अहसास करवाएं कि उन्हें किसके लिए चुन कर भेजा गया था और उन्होंने क्या किया। दीपावली पर बहीखातों में लाभ-हानि का हिसाब किया जाता है, उसी प्रकार उनके वादों और किए गए कार्यों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए, लेकिन संयम के साथ।

दीयों का यह प्रकाश-पुंज हमारे सभी साथियों, शुभ चिन्तकों, सहयोगियों एवं आलोचकों के मन को आलोकित करे। वे अंधकार के साथ मजबूती से लोहा ले सकें प्रकाश की ओर बढ सकें, इसी शुभ कामना के साथ- मदन मोदी

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