बाबा रामदेव ने किया केजरीवाल का समर्थन
इस
देश की आम जनता के दर्द से जुडा सबसे अहम मुद्दा टीम अन्ना और रामदेवजी ने उठाया, जो कोई राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सका, इन्होंने कर दिखाया, लेकिन शीर्ष पर पहुंचते-पहुंचते इनमें अधिक विनम्रता और सरलता आने की बजाए, इतना अधिक अहंकार आ गया है कि ये तानाशाही मानसिकता के
शिकार हो गए हैं, विवेक नष्ट हो गया है, इसीलिए मानसिक संतुलन खो गया है और कुछ भी मर्यादाविहीन बोल
जाते हैं, भाषा-विवेक नहीं रहा और
बौखलाहट में इतने अच्छे आंदोलन को इन्होंने खुद मटियामेट कर दिया है। अब
भोली-भावुक-भ्रष्टाचार पीडत जनता किस पर भरोसा करे? आजकल के मर्यादाहीन नेताओं में और इनमें अब क्या फर्क रह गया है?
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