बुधवार, 29 मार्च 2017

सवाल-7

मंहगाई....! 2014 से पहले तक हमारे यहां आलम यह था कि किसी भी चीज के दाम 5-10 रुपये भी बढ जाते तो भाजपा के नेतृत्व में चक्का जाम हो जाता था, बाजार बंद करवा दिए जाते, भाजपा के शूरवीर भारी पुलिस जाब्ते के बावजूद कलक्ट्रेट की फाटक चढ जाते और सत्तारूढ कांग्रेस की हालत खराब कर देते थे। अब वही भाजपा सत्ता में है। केन्द्र में भी और राज्य में भी। भाजपा के सत्ता में आने से पहले जो गैस सिलेण्डर 415 रुपये में आता था, अब 770 रुपये का हो गया है। जो दालें 45 रुपये किलो के आसपास थी, 200 रुपये तक चली गई। पेट्रोल, डीजल, बीजली, पानी सबकुछ भाजपा सरकारों ने मंहगा कर दिया। अब वे कलक्ट्रेट की फाटकें चढने वाले, बंद का आयोजन करने वाले, शहर में तूफान मचा देने वाले शूरवीर कहीं दिखाई नहीं पडते। सत्तासुख और सत्ता की दलाली का मामला ऐसा ही है, जनता तो बेचारी है। कांग्रेस के एक बडे मिनिस्टर रहे हुए नेता सवेरे टिनोपॉल लगा सफेद जक्क कुर्ता-पाजामा पहिनकर घूमने निकले, रास्ते में मिल गए, मैंने पूछा जनता दुःखी है, आप जनता के लिए कोई आंदोलन.....मंहगाई इतनी बढ गई है कि जीना दुभर हो गया है.....! नेताजी बोले, क्या करना है यार....अभी हम आह्वान करेंगे तो 50 लोग जमा नहीं होंगे......कोई मतलब नहीं है.....जनता दुःखी होकर वापस हमें ही सत्ता सौंपने वाली है....! मैंने कहा, इस बार इस भूलभुलैया में मत रहना.....! लाठियां खाना, कलक्ट्रेट की फाटक चढना नहीं सीखोगे तो इस बार भाजपा वसुन्धरा रानी को बदल कर नया चेहरा लाएगी और जनता कांग्रेस को मरी हुई लाश समझ कर उसे रौंदते हुए फिर नरेन्द्रभाई मोदी के पीछे हो जाएगी, वो बडा जादूगर है, जनता को घुमाने में खिलाडी है...! नेताजी मन ही मन कुढते हुए निकलने लगे.....तो मैंने जाते-जाते पूछ लिया कि आज देश में विपक्ष नाम की चीज है कहां......और राजस्थान में तो बिलकुल ही मैदान साफ है.....भाजपा का कोई विकल्प ही नहीं है......कांग्रेसी कहीं नजर ही नहीं आते हैं.....शायद एकदम लू के थपेडे शुरू हो गए हैं, इसलिए अपने एसी में आराम कर रहे होंगे..! नेताजी बुरा मान गए और चले गए। यह सच तो सामने दिख रहा है कि भाजपा की धोबी पछाट से विपक्ष बेहोंश है। न उसे मुद्दों का पता है, न उन मुद्दों पर देश को कैसे आंदोलित किया जा सकता है, यह पता है, विपक्ष बिलकुल बेसुध है। भाजपा की तो नीति ही यह है कि कोई विपक्ष में बोलने लगे कि तुरंत उसका मुंह नोंच लो, उसे देशद्रोही होने का सर्टिफिकेट पकडा दो, पाकिस्तान जाने के लिए कह दो। उत्तरप्रदेश में भाजपा विरोधियों की जो रणनीतिक दुर्गति भाजपा ने की है, उससे उबरने में अभी वक्त लगेगा। भाजपा 2019 और 2024 की तैयारियों में जुटी हुई है। मैदान साफ है, कोई उसके खिलाफ ताल ठोंकने वाला अभी तो दिखाई नहीं देता। लेकिन मंहगाई से अपनी बदहाली का रोना जनता कहां रोए.....? एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं। भाजपा के सत्ता में आने से पहले आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की अन्तर राष्ट्रीय कीमतें बहुत ऊंची थी। लेकिन, हालात कुछ ऐसे बने कि इधर भाजपा सत्ता में आई और उधर कच्चे तेल की कीमतें ऐसी धडाम हुई कि 150 का माल 30 का हो गया। नरेन्द्रभाई मोदी उस समय अपने भाग्य पर इठला रहे थे। उम्मीद की जा रही थी कि बाजार आधारित कीमतों के हिसाब से पेट्रोल-डीजल के दाम आधे से कम हो जाएंगे। आम आदमी को बडा लाभ मिलेगा। इससे अन्य चीजें भी सस्ती हो जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पर क्यों? विपक्ष ने कभी इसके लिए आंदोलन भी नहीं किया। आम आदमी की बात कौन करे? सिर्फ उद्योगपतियों ने इसका पूरा लाभ लिया और सरकार ने पैसा जमा किया। क्या भाजपा सरकारों को आम आदमी की मंहगाई की यह पीडा दिखाई देगी....? अपने चहेते उद्योगपतियों के घर आपने बहुत भर लिए न भाई.... अब तो थोडा जनता के दर्द का खयाल करो.....! 2014 के आम चुनावों में स्वयं नरेन्द्रभाई मोदी ने कोंग्रेस के खिलाफ मंहगाई को एक बड़ा मुद्दा बनाया था, किन्तु आज वे स्वयं जब सत्ता के शीर्ष पर हैं, शायद उनके लिए अब यह कोई मुद्दा नहीं है....!

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