शुक्रवार, 12 मई 2017

मां और बच्चे के बीच "अमूक" समझ

मां और बच्चे के बीच "अमूक" समझ होती है। मां की बच्चे से मनोभौतिक और बोधात्मक एकता होती है, इस एकता के लिए कोई अलग से प्रयास नहीं करना पडता, यह स्वतः स्वाभाविक और प्राकृतिक रूप से विकसित हो जाती है। यह मजबूत बोधात्मक बंधन जीवनपर्यन्त उपस्थित होता है, क्योंकि इसकी जडें जितनी चेतन में होती हैं, उतनी ही अचेतन में। मातृत्व की यह स्थिति दुनिया की सबसे प्राकृतिक अवस्था है, जो सबसे अधिक रहस्यमयी और सांसारिक है। यदि इसके तत्त्वों का विश्लेषण करना शुरू कर दिया जाए तो वहां मापने योग्य कुछ नहीं है, क्योंकि इसकी सीमाएं मानवीय बुद्धि से परे है, जिनकी गिनती संभव नहीं है।
जीवन की हर परिस्थिति में एक सच्चे मित्र और मार्गदर्शक की भाँति वह अपने शरीर के अंश का साथ देती है। जब भारी और अचानक आई विपत्तियां मनुष्य को घेर लेती हैं, जब समृद्धि का स्थान दुर्भाग्य ले लेता है, जब सुख में साथ देने वाले मित्र साथ छोड देते हैं और दुःख अपना घेरा चारों ओर बना देता है, तब वह अकेली इन विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं मोर्चा लेती है और कोशिश करती है कि उसके अंश पर कोई आंच न आए, वह विपरीत परिस्थितियों में भी अपने अंश के लिए प्रोत्साहन का माध्यम बनती है। प्रेम और वात्सल्य की यह अवस्था उस स्थिति में भी बरकरार रहती है, जब बालक जिद्दी, कृतघ्न, चिडचिडा या बुरा हो, लेकिन मां को ऐसे में भी इस बात का गर्व रहता है कि उसने एक इंसान को जन्म दिया है, जो उसकी दृष्टि में दयालु, विनम्र, बहादुर और बुद्धिमान है।
पूर्वाभास की क्षमता

मां का हृदय बच्चे के लिए एक पाठशाला है, जहां एक शिक्षक की तरह अनुशासन और पालना देने वाली मां का एक स्पर्श तक शब्दों की दुनिया से परे होता है, जो बालक को एक सुरक्षित आवरण प्रदान करता है। यह अद्भुत् क्षमता मां की प्राकृतिक विशेषता है, जो मातृत्व-पूर्वाभास से जुडी है। मातृत्व पूर्वाभास में उपस्थित शक्ति मां को अपने बच्चे की अनकही पीडाओं और तकलीफों का आभास करवाती है, चाहे वह अपने बच्चे के साथ हो या उससे मीलों दूर। मां का यह स्वचालित शस्त्र इतना अधिक शक्तिशाली होता है कि बच्चा जब तक स्वयं खतरे का अनुभव कर पाए या उससे निबटने के लिए प्रभावी कदम उठा पाए, मां को उसकी विपत्तियों का आभास हो जाता है। दरअसल मानव के मस्तिष्क और आत्मा में संवाद के कई माध्यम होते हैं, जिन्हें वैज्ञानिक शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है और ये क्षमताएं मां और बच्चे में नैसर्गिक रूप से होती हैं; जहां भयानक मुसीबतों में बच्चे को बचाने की अद्वितीय शक्तियां मां के पास होती हैं। किसी बीमार या अक्षम बच्चे की देखभाल अपने जीवन के अंत तक करना या उसके जीवन के लिए अपनी जिंदगी का बलिदान देना, ऐसी ही विलक्षण शक्तियों का उदाहरण है।

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