सोमवार, 2 नवंबर 2015

आत्म-ज्ञान रहित शिक्षा का परिणाम



आज युवकों की क्या दशा है, यह तो अखबार पढने वाले आप लोगों को मालूम ही है, ये युवक अपने बाप के भी बाप बन गए हैं और प्रोफेसर के भी प्रोफेसर बन गए हैं। कॉलेजों के संस्थापक कॉलेजों को कैसे चलावें, इस चिंता में हैं और नए कॉलेज न खोलने के निर्णय पर आए हैं। दुनिया में पढे-लिखे गिने जानेवाले अपनी होंशियारी का उपयोग भी दुनिया को परेशान करने में और स्वयं का स्वार्थ साधने में कर रहे हैं।

आत्मा का ज्ञान हुए बिना, जितना अधिक पढा जाए, उतना अधिक गंवारपन आता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आज के कॉलेज हैं, जहां शिष्टता प्रायः देखने को नहीं मिलती और विपरीत इसके जिधर देखो उच्छृंखलता ही दिखाई देती है। आज पढे-लिखे लोग ही सबसे ज्यादा विनाशक प्रवृत्तियों में संलग्न हैं। हिंसा, चोरी, डकैती, लूटपाट, भ्रष्टाचार और अश्लील कृत्यों में सबसे ज्यादा कौन लोग संलग्न हैं? पढे-लिखे ही न? आत्म-ज्ञान से रहित व्यक्तियों को ज्ञान देने का यह परिणाम है।-सूरिरामचन्द्र

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