वानर जाति का न्याय है कि एक बंदर
के यदि घाव हो जाए तो समझो कि उसकी मौत ही आ गई, क्योंकि सभी बंदर उसे देखने आएंगे और उसके घाव में अंगुली डाल-डालकर देखेंगे कि
कितना घाव है, कैसा घाव है और इस प्रकार वे अनजाने
में ही उस घाव को और बडा कर देते हैं। जितने बंदर आते हैं, सभी यही करते हैं और ऐसे में घायल बंदर नहीं मरता हो तो मर जाता है। जब आप अस्वस्थ व्यक्ति
की तबीयत पूछने जाएं, तब वहां जाकर नमक-मिर्ची लगाकर चार नए
झूठे-सच्चे किस्से सुनाकर नई आग मत लगा देना। समझदार, उत्तम व्यक्ति जब बीमार मनुष्य की साता पूछने जाता है, तब उस बीमार की आधी बीमारी, आधी चिन्ता तो स्वतः कम हो जाती है। जो
समझदार होता है, वही दुःख में धैर्य बंधा सकता है। अन्य
लोग तो उल्टे दुःख में वृद्धि कर के ही आते हैं। यही हाल नई बहुओं का होता है।
जिसकी शादी होने वाली होती है, उस बच्ची के सामने पीहर की बडी-बुजुर्ग
महिलाएं अन्य घरों के सुने-सुनाए किस्सों में नमक मिर्च का तडका लगाकर घर में बातें
करती है, जिसका दुष्प्रभाव नई दुल्हन की कच्ची
मानसिकता पर होता है और वह ससुराल में दिल में सुलगती नई आग के साथ प्रवेश करती है, जिसमें सभी को जुलसना पडता है। धार्मिक-संस्कारों का ही यह टोटा है।-आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा
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