गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

क्षमा मांगें, क्षमा करें


क्षमा करना या क्षमा माँगना दोनों ही कार्य अत्यधिक साहस, हिम्मत व विशाल हृदय होने पर ही पूर्ण हो सकते हैं। क्षमा का सीधा-सादा मतलब है- माफ करना या अपने कृत्य के लिए माफी माँगना या प्रायश्चित्त करना। दूसरों की भूल को क्षमा करना फिर भी आसान है, परंतु अपनी भूल या गलती बताने वाले को माफ करना बहुत ही कठिन कार्य है। गलती किससे नहीं होती? सवाल यह है कि सामने वाला उसे किस रूप में लेता है? साधारण या दुश्मनी या झगडा; परंतु कुछ भी निर्णय लेने के पहले ठंडे दिमाग से विचार करना चाहिए। सामने वाले की छोटी-सी भूल, अपराध या कृत्य को हम अपने दिमाग में स्थान देकर कहीं अपना ही दिमाग तो खराब नहीं कर रहे हैं? अगर सामने वाला अपने कृत्य के लिए आपसे क्षमा माँगता है, तो उसे तुरंत क्षमा कर दें। इससे दोनों का बोझ कम हो जाएगा और संबंध सरल बने रहेंगे। लेकिन कदाचित वह अपनी गलती के लिए माफी नहीं मांगता है, तब भी आप अपनी ओर से अपने मन की शान्ति के लिए तो उसे माफ कर ही दीजिए और उसके अपराध को अपने दिमाग में स्थान मत दीजिए। इससे आपके मन पर बोझ नहीं रहेगा, आपका दिल-दिमाग हलका रहेगा। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

क्षमा करने वाले को अकडना नहीं चाहिए कि मैंने माफ कर दिया, मैं बडा आदमी हूँ। माफी भी विनम्र स्वरूप में दी जानी चाहिए और इस बात का ध्यान रहे कि उसे यह अहसास न कराया जाए कि आप माफ करके उसके ऊपर अहसान कर रहे हैं। द्वेष व्यक्ति के भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास को रोक देता है। जो लोग अपने को ठेस पहुँचाने वाले, अपमानित करने वाले व्यक्ति को माफ नहीं करते, वे इस घटना का बोझ अपने साथ ढोते हैं व अपनी ऊर्जा इस बोझ को ढोने में खर्च कर देते हैं। माफी आपके भले के लिए है। चोट को दिल से लगाए रखना दूसरे के बनिस्बत अपने आपको अधिक तकलीफ पहुँचाता है। यह आपकी मानसिक शांति को ठेस पहुँचाती है।

क्षमा एक ऐसी रामबाण दवा है, जो गहराई तक जाकर घावों का इलाज करती है। वह प्रेम व सौहार्द को खत्म करने वाले धीमे जहर को खत्म कर देती है। माफी नहीं देना, क्षमा नहीं करना हमारे शरीर में हार्मोनल परिवर्तन पैदा करती है, जो शरीर के लिए घातक है। क्षमा माँगने में विलंब नहीं करना चाहिए, नहीं तो क्षमा माँगना कठिन हो जाएगा। खुले दिल से अपनी गलती स्वीकार की जाए। क्षमा करते समय भी किसी प्रकार के तल्ख भाव या उसको गलती का अहसास कराने की चेष्टा न करें। गले मिलकर, मौन रूप से भी गिले-शिकवे दूर किए जा सकते हैं। दो अक्षर का शब्द क्षमा अपने अंदर कई गूढ अर्थों को समाए हुए है।-आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा

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