क्षमा किसके लिए ? स्वयं आपके लिए !
क्षमा आपके लिए है, भले ही दूसरा
व्यक्ति उसे मांगे या नहीं,
अपनी भूल स्वीकारे या न स्वीकारे।
यह आपके स्वास्थ्य, कुशलता और आने वाले जीवन के लिए है !
किसी को क्षमा करना या किसी व्यक्ति से क्षमा माँगना
दोनों ही कार्य अत्यधिक साहस, हिम्मत व विशाल हृदय होने पर ही पूर्ण हो सकते हैं। क्षमा की सीधी-सादी
परिभाषा है- माफ करना या अपने कृत्य के लिए माफी माँगना या प्रायश्चित्त करना। ‘जिस नाराजगी के आप हकदार हैं, उसे छोडना और जिन लोगों ने आपको
ठेस पहुंचाई है और आपकी दोस्ती पाने के हकदार नहीं हैं,
उनसे दोस्ताना व्यवहार करना’, मनोवैज्ञानिक दृष्टि से क्षमा को
कुछ इस रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जो लोग ठेस पहुंचाने वालों को माफ करने
से इन्कार कर देते हैं, वे न सिर्फ खुद अपने साथ बोझ ढोते हैं, बल्कि उस घटना को अपनी सारी ताकत
दे देते हैं। जो व्यक्ति जिसके साथ क्रोधित रहना चुनता है,
दरअसल वह उसी के वश में रहता है, भले ही वह खुद इस बात को अस्वीकार
करे।
दूसरों की भूल को क्षमा करना फिर भी आसान है, परंतु अपनी भूल या गलती बताने वाले को माफ
करना बहुत ही कठिन कार्य है। गलती किससे नहीं होती? सवाल यह
है कि सामने वाला उसे किस रूप में लेता है? साधारण या
दुश्मनी या झगडा; परंतु कुछ भी निर्णय लेने के पहले ठंडे
दिमाग से विचार करना चाहिए। दोस्त की/सहयोगी की, अधिकारी की
या कर्मचारी की छोटी-सी भूल, अपराध या कृत्य को हम अपने
दिमाग में स्थान देकर कहीं अपना ही दिमाग तो खराब नहीं कर रहे हैं? अगर सामने वाला अपने कृत्य के लिए आपसे क्षमा माँगता है, तो उसे तुरंत क्षमा कर दें। इससे दोनों का बोझ कम हो जाएगा और संबंध सरल
बने रहेंगे। लेकिन कदाचित वह अपनी गलती के लिए माफी नहीं मांगता है, तब भी आप अपनी ओर से अपने मन की शान्ति के लिए तो उसे माफ कर ही दीजिए और
उसके अपराध को अपने दिमाग में स्थान मत दीजिए। इससे आपके मन पर बोझ नहीं रहेगा, आपका दिल-दिमाग हलका रहेगा। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
क्षमा करने वाले को अकडना नहीं चाहिए कि मैंने माफ कर
दिया, मैं बडा आदमी
हूँ। माफी भी विनम्र स्वरूप में दी जानी चाहिए और इस बात का ध्यान रहे कि उसे यह
अहसास न कराया जाए कि आप माफ करके उसके ऊपर अहसान कर रहे हैं, बल्कि परस्पर सहयोग करना चाहते हैं। वैज्ञानिक शोध के अनुसार द्वेष
व्यक्ति के भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास को रोक
देता है।
जो लोग अपने को ठेस पहुँचाने वाले, अपमानित करने वाले व्यक्ति को माफ नहीं
करते, वे इस घटना का बोझ अपने साथ ढोते हैं व अपनी ऊर्जा इस
बोझ को ढोने में खर्च कर देते हैं। माफी आपके भले के लिए है, चोट को दिल से लगाए रखना दूसरे के बनिस्बत अपने आपको अधिक तकलीफ पहुँचाता
है। यह आपकी मानसिक शांति को ठेस पहुँचाती है।
क्षमा या माफी एक ऐसी रामबाण दवा है, जो गहराई तक जाकर घावों का इलाज करती है।
वह प्रेम व सौहार्द को खत्म करने वाले धीमे जहर को खत्म कर देती है। माफी नहीं
देना, क्षमा नहीं करना हमारे शरीर में हार्मोनल परिवर्तन
पैदा करती है, जो शरीर के लिए घातक है। क्षमा माँगने में
विलंब नहीं करना चाहिए, नहीं तो क्षमा माँगना कठिन हो जाएगा।
खुले दिल से अपनी गलती स्वीकार की जाए।
क्षमा करते समय भी किसी प्रकार के तल्ख भाव या उसको
गलती का अहसास कराने की चेष्टा न करें। गले मिलकर, मौन रूप से भी गिले-शिकवे दूर किए जा सकते हैं। स्पर्श से
जादू की प्यार भरी झप्पी देकर। इस दुनिया में उन्हें खुशी नहीं मिलती जो अपनी
शर्तों पर जिंदगी जीते हैं, बल्कि उन्हें खुशी मिलती है जो
दूसरों की खुशी के लिए जिंदगी की रफ्तार बदल लेते हैं, शर्तें
बदल देते हैं। दो अक्षर का शब्द क्षमा अपने अंदर कई गूढ अर्थों को समाए हुए है।
हालांकि जो लोग क्षमा के रास्ते अपने परिवार के
सदस्यों से झगडे नहीं सुलझाते, खुद इस तथ्य से अनजान वे इस बोझे को अपने वर्तमान रिश्तों
में भी घसीटते चलते हैं। मैंने यह कई बार देखा है,
जो कुछ भी दमित होता है, उसका दोहराव जरूर होता है। द्वेष
व्यक्ति के भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास को रोक देता है।
जो लोग बदले की भावना रखते हैं, उनमें हृदयगति के तेज होने की और
ब्लडप्रेशर की संभावना बढ जाती है। अपने मन ही मन में क्रोध को बनाए रखने वाले
गंभीर मानसिक रोगों के शिकार जल्दी होते हैं। गौर करने योग्य बात यह है कि जिन
लोगों ने माफ किया, वे कम उदास और कम चिंतित रहते हैं। आवेश और बदले की
कल्पनाओं से मुक्त रहते हैं। हम जिस दुनिया में रहते हैं,
उसकी रचना हम स्वयं करते हैं।
संसार आपका आईना है। शान्ति प्रिय व्यक्ति शान्तिपूर्ण जीवन में रहता है। एक
गुस्सैल व्यक्ति क्रोधित दुनिया बनाता है........एक रूखे व्यक्ति को जब उससे मिलने
वाला व्यक्ति देर-सवेर रूखी प्रतिक्रिया दे तो उसे आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए।
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