मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

कैसे सजाएं आत्मा को?


कैसे सजाएं आत्मा को?

आप अपने मकानों में दीवालों पर नया पेन्ट चाहते हैं, तो पहले दीवालों का पुराना पेन्ट कुरेद-कुरेद कर साफ करते हैं। अगर कुरेदते नहीं भी हैं, तो उन दीवालों की, मकानों की पहले सफाई करते हैं। शरीर को सजाने के लिए नहा कर मेल उतारते हैं, उबटन लगाते हैं, वस्त्र-आभूषण पहनाते हैं। इसी प्रकार से आत्मा की सजावट के लिए भी पहले धुनन की, आत्मा की सफाई-धुलाई, कर्मों की निर्जरा की आवश्यकता होती है। आत्मा पर जो कषाय-विकार-वासना रूपी गन्दगी, जो कचरा, जो मेल जमा हुआ है; यदि हम उसे तप, संयम, स्वाध्याय, साधना द्वारा साफ कर दें, तो हम आत्मा को सजा-संवार सकते हैं। यदि थोडा और सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो फिर हमारी आत्मा को सजाने की आवश्यकता ही नहीं होगी, क्योंकि आत्मा तो स्वभाव से ही सजी-सजाई है। हमारी आत्मा तो अनन्त ज्ञान, अनन्त आनन्द का खजाना है। केवल उस अनन्त ज्ञान पर, जो आवरण आ गए हैं, जो पर्दे पडे हुए हैं, उन आवरणों को, उन पर्दों को हटाने की आवश्यकता है। सोने को क्षार से धोकर अग्नि के ताप में तपाकर गंदगी निकाल देंगे तो वह स्वाभाविक रूप से अपने आप चमक उठेगा। -आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा

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