बुधवार, 1 जुलाई 2015

जस्मीन शाह ने दी धमकी


जस्मीन शाह ने दी धमकी

क्या यह चोर की दाढी में तिनका है?

मैं बालदीक्षा का विरोधी नहीं -जस्मीन

गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश और उससे पहले अहमदाबाद के मेट्रोपोलियन मजिस्ट्रेट के समक्ष फर्जी गजट और बालदीक्षाओं के संबंध में फरियाद करने वाले जस्मीन शाह ने हमारे सवालों का जवाब देकर हमें संतुष्ट करने की बजाय हमें ही मुकदमे की धमकी दे डाली है। गौरतलब है कि ये सवाल हमने सीधे उनसे नहीं पूछे, क्योंकि उनका हमारा किसी प्रकार का कोई परिचय ही नहीं है, ये सवाल तो हमने अपने मित्रों के समक्ष विचार के लिए उठाए थे। किसी ने उसकी कॉपी उन्हें भेज दी तो वे भभक पड़े और हमारा फोन नम्बर लेकर हमें फोन पर यह धमकी दे डाली। इससे कहीं वे चोर की दाढी में तिनके वाली कहावत तो चरितार्थ नहीं कर रहे हैं?

कल जस्मीन शाह ने हमें चार बार फोन किया, दो बार बात हुई, पहली संक्षिप्त बातचीत में उन्होंने धमकी दी, वहीं दूसरी बार लम्बी बातचीत में उन्होंने बताया कि वे स्वयं बालदीक्षा के विरोधी नहीं हैं, बल्कि समर्थक हैं और अभी हाल ही पालीताणा में हुई बालदीक्षाओं को सम्पन्न करवाने में पुलिस व कलक्टर के नुमायंदों के बीच वे मौजूद रहे हैं। लेकिन, इस कथन के विपरीत यदि उनकी फरीयाद और गुजरात उच्च न्यायालय में उनकी पैरवी को देखता हूं तो उनका धर्म विरोधी (बालदीक्षा विरोधी) चेहरा साफ दिखाई देता है, यहां तक कि भाषा की मर्यादा व विवेक का भी उनमें स्पष्ट अभाव झलकता है।

जस्मीन का कहना है कि उसी ने सबसे पहले फर्जी गजट का मामला उठाया और सबसे पहले उसी ने सारी कार्यवाही की, मुम्बई पुलिस की जांच और कार्यवाहियां भी बाद में शुरू हुई, वे जिस तरह अपनी बात कह रहे हैं या प्रकट कर रहे हैं, उससे शायद वे ऐसा जताना चाहते हैं कि इस मामले के असली हीरो, मास्टर माइंड वे ही हैं। लेकिन वे यह कहते हैं कि कुशल मेहता ने यह सब किया और उसकी गिरफ्तारी हो चुकी है; यह सब वे नहीं जानते और इससे उनको कोई मतलब नहीं और वे यह बात न्यायालय को क्यों बताएं? बताना हो तो बचाव पक्ष बताए कि असली गुनहगार कौन है? उनकी यह दलील कौनसी मानसिकता प्रकट करती है, आप स्वयं विचार कर लीजिए।

मुम्बई पुलिस ने तीन वर्ष की कठोर जांच में जिस कुशल मेहता के ठिकानों से उसकी निसानदेही पर फर्जी दस्तावेज तैयार करने का सारा साजोसामान बरामद किया है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है और इस समय जमानत पर छूटा हुआ है, क्या यह उस कुशल मेहता को बचाने की कोशिश का यह एक हिस्सा अथवा षडयंत्र नहीं है? क्योंकि जस्मीन शाह ने अपनी फरीयाद में कहीं पर भी कुशल मेहता व उसकी गिरफ्तारी का जिक्र नहीं किया है और अब भी इस सवाल से भागने की कोशिश कर रहे हैं.

जस्मीन शाह कहते क्या हैं और करते क्या हैं, पूरा विरोधाभासी है। एक तरफ वे कहते हैं कि मैं जैनी हूं और बालदीक्षा का समर्थक हूं; दूसरी तरफ जैनधर्म और उसकी दीक्षा पर उठाए गए सवाल और उससे हो रही छिछालेदार के पीछे उनकी भूमिका स्पष्ट है। उनकी बातचीत से आचार्यश्री के प्रति बदले की भावना और उन्हें नीचा दिखाने के लिए तथ्यों को तोडमरोड कर प्रस्तुत करने की मानसिकता साफ झलकती है। वे अपनी बातों से पलटी भी जल्दी मारलेते हैं।

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