शनिवार, 4 जुलाई 2015

जस्मीन शाह का असली चेहरा



जस्मीन शाह का असली चेहरा


झूठ आया सामने, प्रशासन को फिर गुमराह करने की कोशिश


अहमदाबाद के जस्मीन शाह ने 1 जुलाई को मुझे पहले धमकी दी और जब बात नहीं बनी तो झूठ बोलकर मुझे संतुष्ट करने की कोशिश की कि वह बालदीक्षा का विरोधी नहीं है और पालीताणा में उसने बालदीक्षा करवाई है, उसका यह झूठ आज बेनकाब हो गया है और असली चेहरा सामने आ गया है कि वो प्रभु महावीर के शासन का किस प्रकार विरोधी बना हुआ है। यही नहीं, उसने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग, गांधीनगर और भावनगर जिला कलक्टर व पुलिस प्रशासन को भी गलत जानकारियां देकर गुमराह करने की कोशिश की है और पालीताणा में मुम्बई निवासी मोक्षांग की दीक्षा को रुकवाने का पुरजोर प्रयास किया है। जस्मीन वहां दीक्षा करवाने नहीं, बल्कि हर हाल में दीक्षा रुकवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा था, लेकिन प्रशासन दीक्षा समर्थकों की बातचीत व तर्कों से संतुष्ट था, इसलिए वह दीक्षा नहीं रुकवा पाया।


जस्मीन ने 27 मार्च, 2015 को सचिव व उपसचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, गांधीनगर को एक शिकायत लिखकर भेजी कि पालीताणा तीर्थ की तलेटी में स्थित धर्मशाला में मुम्बई निवासी एक बालक मोक्षांग को आचार्यश्री नयवर्द्धनसूरिजी म. 25 अप्रैल, 2015 को जैन साधु दीक्षा देने वाले हैं और यह दीक्षा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2000 (संशोधित 2006) के तहत अपराध है, अतः इसे रोकें। जस्मीन ने इस शिकायत की कॉपी भावनगर जिला कलक्टर और वहां के पुलिस प्रशासन तथा पालीताणा पुलिस को भी दी। इसी की शिकायत पर पुलिस व जिला कलक्टर के नुमाइंदे वहां पर 25 अप्रैल को पहुंच गए थे, जिनके माध्यम से जस्मीन ने दीक्षा रुकवाने और उसमें बाधा डालने में कोई कसर बाकी नहीं छोडी, लेकिन समाज के अग्रणीय लोगों ने प्रशासन से बात की व अपने तर्कों से उन्हें समझाया जिससे वे संतुष्ट हो गए और दीक्षा सम्पन्न हो गई।


जस्मीन ने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया कि कानून में ऐसा साफ लिखा हुआ है कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे को जैन साधु नहीं बनाया जा सकता, जबकि ऐसा स्पष्ट रूप से किसी कानून में कहीं नहीं लिखा है।


इस घटना से बिलकुल स्पष्ट है कि जस्मीन किस प्रकार झूठ बोलकर सरकार, प्रशासन व न्यायपालिका को गुमराह करने पर आमादा है और जैनधर्म, दीक्षाधर्म के विरूद्ध सक्रिय है। इससे लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है.


न्यायमूर्ति ब्रजेन्द्र कुमार जैन द्वारा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के विशद विवेचन के आधार पर और उनके निष्कर्षों व आदेश के आधार पर हम पहले ही अपने मित्रों को बता चुके हैं कि इस एक्ट की कोई धारा बालदीक्षा पर लागू नहीं होती।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें