गुरुवार, 16 जुलाई 2015

अपील



आठ-दस लोगों का समूह पूरे जैनधर्म को बदनाम करने पर आमादा है.

जैन दीक्षाओं को बता रहा है क्रूरता-बर्बरता

बालदीक्षा को इन्होंने बाल-हत्या तक करार दिया है.

प्रशासन और न्यायालयों को गुमराह करने का ये प्रयास कर रहे हैं

बदनाम-परेशान करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर मुकदमे कर रहे हैं

लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड करने की बडी साजिश हो रही है

जैन धर्माचार्यों को बेवजह परेशान किया जा रहा है

कुशल मेहता नामक व्यक्ति विशेष, जिसने स्वयं जालसाजी करने का अपराध स्वीकार कर लिया है और मुम्बई पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर चार्जशीट भी न्यायालय में दाखिल कर दी है, उसके बावजूद इन 8-10 लोगों के समूह ने मिलीभगत से जानबूझकर मुम्बई की अलग-अलग अदालतों में, दिल्ली व अहमदाबाद में मुकदमे दर्ज करवाए हैं।

सब जानते हैं कि कानूनन एक अपराध के लिए एक बार ही सजा दी जा सकती है, अलग-अलग न्यायालय अलग-अलग सजा नहीं सुना सकते, इसके बावजूद सबकुछ जानते हुए अलग-अलग न्यायालयों में झूठ बोलकर मुकदमे दर्ज करवाना, यह साजिश है या नहीं? अपराधी का कहीं उल्लेख नहीं कर केवल जैनाचार्य व समाज के ट्रस्टियों के खिलाफ मुकदमे करना साजिश है या नहीं? अलग-अलग स्थानों पर मुकदमे करवाना, इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ परेशान करने की नीयत है या नहीं? जैन दीक्षाओं को क्रूरता-बर्बरता-हत्या कहना और दीक्षाओं के खिलाफ अनर्गल प्रलाप करना लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड करना है या नहीं?

पालीताणा तीर्थ में होने वाली मोक्षांग की दीक्षा को झूठी शिकायत कर व उसे कानून का उलंघन बताकर रुकवाने का प्रयास करना, धर्म-विरोधी गतिविधि है या नहीं?

ये सब मामले न्यायपालिका के दुरुपयोग, कानून के साथ खिलवाड करने, न्याय-प्रक्रिया में अवरोध पैदा करनेवाले हैं या नहीं?

हमने शासन के प्रति पूरी जिम्मेदारी के साथ इन सब मुद्दों पर जितनी सामग्री हमें प्राप्त हो सकती थी प्राप्त कर लिखा है और समाज का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने का प्रयास किया है, भविष्य में भी हम अपने कर्तव्य से नहीं चूकेंगे. मुझे और भी कुछ जानकारी मिली तो मैं निश्चित ही आप सब तक पहुंचाऊंगा.

लेकिन फिलहाल इस मामले में हमारी सामर्थ्य इतनी ही है, अब सभी श्रद्धास्पद जैनाचार्यों, बुद्धिजीवियों, कानूनविदों, साधु-साध्वी भगवंतों, समाज के अग्रणीय महानुभवों, जैन होने पर जिन्हें गर्व महसूस होता है, आर्य संस्कृति के पैरोकारों और जो भी सोचने-विचारने की क्षमता रखता है; उन सभी से इस पर विचार करने और आवश्यक कार्यवाही करने हेतु विनम्र निवेदन है। शासन के काम में आप को कहीं पर भी हमारी आवश्यकता लगे तो आप निःसंकोच हमें 09414736860 पर वॉट्सेप कर सकते हैं, अथवा dr.madanmodi@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं। कृपया, इस पर अवश्य सोचें।

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