मानसिक बीमारियां आज घर-घर में आम जन-जीवन की जीवन शैली में शामिल हो गई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हिसाब से 2012 में 1,35,445 लोगों ने देश में
मानसिक अवसाद के कारण आत्महत्या की। 2013
में 1,50,553 और 2014 में 1,70,812 लोगों कि मौत मानसिक रोगों के कारण हुई. WHO के अनुसार भारत में हर व्यक्ति के जीवनकाल में अवसाद ग्रस्त होने की 9 प्रतिशत संभावना होती है। ये
संभावनाएं और इनके कारण साल दर साल विस्तृत होते जा रहे हैं. साल 2020 के आने तक होने वाली कुल मौतों के लिए जिम्मेदार कारणों में अवसाद दूसरा सबसे बड़ा कारण होगा। दस वर्ष पूर्व तक भारतीयों में अवसाद की गिरफ्त में आने वाले मरीज ज्यादातर 30 साल पार कर चुके होते थे, लेकिन अब
तो बचपन से ही ये कारण व्यक्ति के इर्द-गिर्द मंडराते जा रहे हैं।
'डिप्रेशन' यानी नैराश्य, यानी मन और मानस का असहयोग, यानी प्रकृति से तादात्म्य
न
हो
पाना
या
जीवन
से
आस्था
उठ
जाना।
डिप्रेशन यानी
जीने
का
नकारात्मक रवैया, स्वयं से अनुकूलन में असमर्थता आदि। जब ऐसा हो जाए तो उस व्यक्ति विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहां तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि का ही आभास होता है।
यदि
ऐसा
क्षणिक
हो
तो
उसे
स्वाभाविक या
व्यावहारिक मानना
होगा, किंतु यह मनःस्थिति
और
मानसिकता अगर
सतत
बनी
रहे
तो
परिणाम
निश्चित
तौर
पर
घातक
होंगे।
यह
प्रतिकूलता व्याधि
और
विकृति
को
जन्म
देगी।
जीवन
तक
को
नकार
सकता
है
ऐसा
व्यक्ति। पहले
समाज, फिर परिवार और अंत में स्वयं से कटने लगता है वह।
'डिप्रेशन' का कारण वातावरण, परिस्थिति, स्वास्थ्य, सामर्थ्य, संबंध या किसी घटनाक्रम से जुड़ा हो सकता है। शुरुआत में व्यक्ति को खुद नहीं मालूम होता, किंतु उसके व्यवहार और स्वभाव में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगता है। कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता
अथवा
नास्तिकता,
अनास्था
और
अपराध
अथवा
एकांत
की
प्रवृत्ति पनपने
लगती
है
या
फिर
व्यक्ति
नशे
की
ओर
उन्मुख
होने
लगता
है।
ऐसे
में
जरूरी
है
कि
आप
किसी
मनोविज्ञानी से
संपर्क
करें।
व्यक्ति
को
खुशहाल
वातावरण
दें।
उसे
अकेला
न
छोड़ें
तथा
छिन्द्रान्वेषण कतई न
करें।
उसकी
रुचियों
को
प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास
जगाएं
और
कारण
जानने
का
प्रयत्न
करें।
मानसिक बीमारियां
होने के बहुत से कारण होते हैं, लेकिन आज की जीवन शैली एक बहुत बडा कारण है। अन्यथा किसी को
भी किसी कारण से, किसी
भी समय ये बीमारियां हो सकती हैं, चाहे कोई सदमा लगे, चाहे कहीं अपमान हो, चाहे कहीं उपेक्षा हो या किसी से कोई अपेक्षा हो,
कोई दुर्घटना हो या कोई विभत्स दृश्य देख लिया
जाए, प्रेम में असफलता हो या विवाह
से पूर्व यौन अपेक्षाएं हों, परीक्षा में आशातीत सफलता न मिले या व्यापार में कोई असफलता
की स्थिति बन जाए, बहुत
पैसा मिल जाए या बहुत पैसा डूब जाए या ऐसे ही कई कारण हो सकते हैं,
इनके अतिरिक्त हमारा खान-पान और रहन-सहन का
तरीका कई बीमारियों को निमंत्रित करता है। मानसिक विकृतियों का मतलब पागलपन कतई नहीं
है, लेकिन इनका उपचार बहुत आवश्यक
है। अन्यथा स्वयं के लिए और परिवार के लिए यह बहुत ही घातक हो सकता है।
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