गुरुवार, 15 मई 2014

बुद्धि पर पर्दा


आप में बुद्धि तो बहुत है, परन्तु पैसे के प्रेम ने आपकी बुद्धि पर पर्दा डाल दिया है। आप जैसे लालचियों पर देवी-देवता खुश हों तो समझ लेना चाहिए कि वे भी कर्म के अधीन हैं। वे भी आपकी पूजा-भक्ति के लालची बने हैं, इसी कारण वे चोरों की सहायता करने निकल पडे हैं। अन्यथा तो वे भगवान की अवगणना करने वालों पर खुश होते ही नहीं।

पुण्योदय में सुख-मग्न हो जाए और पापोदय में रोने बैठ जाए, उसे पुण्य-पाप मानने वाला नहीं कहा जा सकता। पुण्य-पाप को मानने वाला तो बने वहां तक पाप करता ही नहीं और अल्प से अल्प देकर भी पुण्य किए बिना रहता ही नहीं। ऐसे पुण्यशाली के पीछे अधिष्ठायक देव घूमा करते हैं और इनके पीछे पडे हुओं से ये अधिष्ठायक देव दूर-दूर भागते हैं।

इस देश में पिछले दशकों में जो-जो घटनाएं हुई हैं और जो-जो उथल-पुथल हुई है, उन्हें देखने वालों को धर्म-अधर्म, नीति-अनीति, पुण्य-पाप की पूरी श्रद्धा हो जानी चाहिए। परन्तु, आज के जीवों की बुद्धि इतनी कम हो गई है कि इस बात को समझने वाले बहुत विरल ही हैं।-आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा

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