बुधवार, 14 मई 2014

आप उठें या गिरें, हमें क्या?


आप यदि अच्छी बातों को अंगीकार न करें और बुरी बातों को त्यागें नहीं, उसमें हमें क्या हानि है? ‘आप हमें पूजेंगे या हमें गाली देंगे’, ऐसी बातों का भय हमें नहीं है। हम तो उपकारियों की आज्ञानुसार जो-जो वस्तु आपको बिगाडने वाली है, उन्हें बिना किसी लाज-संकोच के आपको कह देना चाहते हैं। जो समझेंगे और मानेंगे उनका कल्याण हो जाएगा और जो विपरीत भाव वाले हों उनके लिए तो यही है कि जैसा उनका भाग्य। यदि हम आप से प्रभावित हो जाएं तो हम कर्तव्य च्युत होते हैं। इसलिए ठकुर सुहाती नहीं, खरी-खरी कहने का ही हमारा कर्तव्य है। आप अर्थ और काम में लिप्त व आसक्त हैं, उनसे आपको बचाने का प्रयत्न हमें करना है। आप बचना चाहते हैं या नहीं, आप बच सकेंगे या नहीं; परन्तु विशुद्ध बुद्धि से विशुद्ध प्रयत्न करने वाले को तो लाभ ही होगा। जब तक हम में उपकार वृत्ति और आज्ञापालन है, तब तक हम अपने कर्तव्य से भ्रष्ट नहीं होंगे, यह निश्चित है।-आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा

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