अपनी गलती स्वीकार करना जीवन की एक सुन्दर कला है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि क्षमायाचना कैसे की जाए। उससे भी कम खेद को स्वीकार करने
की कला जानते हैं। क्षमा मांगते और क्षमा करते समय कुछ मूल बातों का ध्यान रखकर इस
प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है।
- जितना जल्दी हो सके उतना। क्षमा मांगने में आप जितना ज्यादा इंतजार करेंगे, यह उतना ही मुश्किल हो जाएगा। अपने उस बर्ताव को लेकर स्पष्ट रहिए, जिसे लेकर आप माफी मांग रहे हैं।
- जिससे क्षमा मांग रहे हैं, उसे उस घटना के बारे में और वर्तमान में अपनी भावनाओं के बारे में बताइए। कुछ इस तरह शुरू कीजिए ‘मैं शर्मिन्दा हूं कि मेरी लापरवाही से...........या मेरे अविवेक से..........
- उसे बताइए कि यह आपका रोजमर्रा का व्यवहार नहीं है, कुछ गलतियों या गलतफहमियों से ऐसा हो गया है.........
- किसी की गलती स्वीकार करते समय ऐसा कभी नहीं कहें कि मुझे खुशी है कि आखिर तुमने अपनी गलती मान ली या फिर समय-समय की बात है या फिर मैं अब भी चोटिल हूं या और कोई तीखा वाक्य जो तनाव बढाए।
·
यदि
आप ईमानदारी से कह सकें तो कहें कि ‘कोई बात नहीं,
नए सिरे से चलते हैं।’ या फिर कहें कि ‘मैं अपनी तरफ से भी क्षमा मांगता
हूं।’
- क्षमा एक ऐसी औषधि है, जो गहराई तक जाकर घावों का इलाज करती है। यह उस जहर को खत्म कर देती है, जो प्रेम और सौहार्द को खत्म करता है।
- माफी न देना शरीर के महत्त्वपूर्ण हार्मोन के उत्पादन को नष्ट कर देता है और संक्रमण, जीवाणुओं और अन्य शारीरिक परेशानियों जैसे हल्की मौसमी बीमारियों से लडने वाली हमारी कोशिकाओं को भी बाधा पहुंचाता है। माफी न देने से कई प्रकार के मानसिक विकार भी पैदा होते हैं। ऐसे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर हो जाती है.
- गलती किससे नहीं होती? बहुत कम लोग गलती के लिए किसी से माफी मांग पाते हैं या फिर किसी को उससे हुई गलती के लिए माफ कर पाते हैं। अक्सर कहा जाता है कि गलती करना मानव स्वभाव है, जबकि क्षमा करना ईश्वरीय गुण। किसी को क्षमा कर देने से न सिर्फ उससे मिले कष्ट को भूलने में मदद मिलती है, बल्कि उस घटना से उबर कर वापस जीवन की मुख्य धारा के साथ जुडना आसान हो जाता है।
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