शनिवार, 12 सितंबर 2015

क्षमा का महत्व


क्षमा का महत्व

  • क्षमा, मानवता और जीवन की महत्ता को समर्पित एक अप्रतिम अनुष्ठान है.
  • अहिंसा और करुणा से भीगा मन क्षमा को जन्म देता है, किन्तु मानसिक स्वीकृति के अभाव में यह एक अर्थहीन अपक्रम बनकर रह जाता है.
  • क्षमा ने ही युगों-युगों से मानव-जाति को नष्ट होने से बचाया है.
  • जब-जब भी मन ने मानवता की सरहदों का अतिक्रमण किया है तो क्षमा ने ही मनुज को लौटकर चले आने का शुभ संदेश दिया है.
  • स्वभावदशा से विभावदशा के अतिक्रमण का प्रतिक्रमण है क्षमा.
  • निश्चय ही क्षमा से मनुष्य और उसकी अच्छाइयों को गरिमा मिली है.
  • जब कभी मन की उर्वर भूमि पर क्षमा के अंकुर फूटते हैं तो जीवन में विलक्षण अनुभव होता है.
  • क्षमा के बाद का रिश्तों का संगीत रग-रग को निर्मल बना देता है.
  • क्षमा के बिना चित्त को विरल शान्ति कभी नहीं मिलती. जीवन के इस यथार्थ को वही जानता है, जो इस अनुभव से गुजरता है.
  • मनुष्य का जीवन-पथ उपलब्धियों और गलतियों का मिलाजुला संयोग है.
  • पूरी सावधानी बरतने पर भी जीवन में कहीं-न-कहीं त्रुटियां हो ही जाती हैं.
  • कभी किसी के प्रति मन में दुर्भाव आ जाता है तो कहीं कर्कश वचन किसी के कोमल ह्रदय को घायल कर जाते हैं. कभी-कभी तो अपराध की स्थिति हद पार कर जाती है और हम कायिक रूप से किसी के प्रति अवांछनीय व्यवहार कर लेते हैं.
  • क्षमापना सारी गलतियों व अपराधों को धोने का अमोघ उपाय है.
  • मनुष्य की श्रेष्ठता इसी में है कि वह अपनी भूलों को स्वीकार करे.
  • जो अपराध को स्वीकार नहीं करता, वह अपराध से कभी मुक्त भी नहीं हो पाता.
  • जीवन-पथ इतना लम्बा और अटपटा है कि यदि उसे क्षमापना से बार-बार बुहारा न जाए तो वह कूडेदान बन जाएगा.
  • दुनिया के सारे धर्मग्रन्थों और उपदेशों का यही सार है कि क्षमा को छोडकर हम कितना भी चलें, कहीं नहीं पहुंचेंगे.
  • यथार्थ तो यही है कि आत्मा-उत्कर्ष के किसी भी शिखर पर कभी पहुंचेगा तो वह क्षमा के साथ ही पहुंचेगा.

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