रविवार, 13 सितंबर 2015

विभिन्न धर्मों में क्षमा


खमियव्वं खमावियव्वं, जोउवसमइ तस्स अत्थि आराहण, जो न उवसमइ तस्स णत्थि आराहण।

क्षमा मांगनी चाहिए, क्षमा देनी चाहिए, जो क्रोध, अभिमान, कपट, लोभ व राग-द्वेष को शान्त कर क्षमा-याचना करता है, उसी की आराधना सार्थक होती है और जो ऐसा नहीं करता उसकी सारी साधना-आराधना निरर्थक हो जाती है. -भगवान महावीर (कल्पसूत्र 1/35)

इमेण चेव जुज्झाहि, किं ते जुज्झेण बज्झओ।

अपने आन्तरिक विकारों से ही युद्ध करो, किसी अन्य से लडने से तुम्हें क्या मिलेगा? -भगवान महावीर (आचारांग सूत्र 1/5/3)

सरिसो होइ बालाणं

बुरे के साथ बुरा बनना, बचकानापन है. -भगवान महावीर (उत्तराध्ययन सूत्र 2/24)

खमावणयाए ण्ं पल्हायणभावं जाणयइ।

क्षमापना से आत्मा में प्रसन्नता की अनुभूति होती है. -भगवान महावीर (उत्तराध्ययन सूत्र 29/17)

योस्मान् द्वेष्ठि तमात्मा द्वेष्टु।

जो किसी से द्वेष करता है, वह अपनी आत्मा से ही द्वेष कर रहा है. (अथर्ववेदः16/7/5)

उद्वरेदात्मनात्मानं, नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव हृयात्मनो, बन्धरात्मैव रिपुरात्मनः।।

स्वयं ही अपना उद्धार करो. स्वयं स्वयं को नीचे मत गिराओ. क्योंकि हम स्वयं ही स्वयं के मित्र हैं. और स्वयं ही स्वयं के शत्रु, -योगीश्वर श्री कृष्ण (भगवद्गीताः 6/8)

क्षमा गुणोहृयशक्तानां, शक्तानां भूषणं क्षमा।

क्षमा असमर्थ मनुष्यों का गुण है और समर्थों का भूषण है. -वेदव्यास (महाभारत, उद्योगपर्वः 33/49)

आत्मा वै प्राणिनां प्रेष्ठः।

जो किसी के साथ वैर-भाव रखता है, उसके मन को कभी शान्ति नहीं मिल पाती. -वेदव्यास (विष्णुपुराणः 10/80/40)

अच्चयं देसयन्तीनं, यो चे न पटिगण्हति। कोयंतरो दोसगुरू, स वेरं पटिमुण्चति।।

अपराध स्वीकार करनेवालों को जो क्षमा नहीं करता, वह भीतर ही भीतर क्रोध रखनेवाला महाद्वेषी, वैर को और अधिक बांध लेता है. -महात्मा गौतमबुद्ध(संयुत्तनिकायः 1/1/35)

द्वेवे, भिक्खवे, बाला। यो च अच्चयं अच्चयतो न पस्सति। यो च अच्चयं देसें तस्य, यथाधम्मं नप्पटिग्गण्हाति।

भिक्षुओं! मूर्ख दो प्रकार के होते हैं, एक वे जो अपने अपराध को अपराध के रूप में नहीं देखते, और दूसरे वे जो दूसरों द्वारा अपराध स्वीकार कर लेने पर भी उन्हें क्षमा नहीं करते. -महात्मा गौतमबुद्ध (संयुत्तनिकायः 1/11/24)

नही वेरेण वेराणि, सम्मन्तीध कुदाचनं। अवेरेण च सम्मन्ती, एस धम्मो सनन्तनो।

वैर से वैर कभी शान्त नहीं होता, सिर्फ प्रेम से ही वैर शांत होता है, यही शाश्वत नियम है. -महात्मा गौतमबुद्ध (सुत्तपिटक, धम्मपदः 1/5)

क्षान्त्या शुद्ध्यन्ति विद्वांसः।

विद्वान् क्षमा-भाव से ही पवित्र बनते हैं. -मनुस्मृतिः 6/107

मरणान्तानि वैराणि।

हम चाहें तो वैर-विरोध मरते दम तक भी रख सकते हैं. -ऋषि वालिमकि (रामायण, उत्तरकाण्डः 110/26)

जो वक्त पर धैर्य रखे और क्षमा कर दे, तो निश्चय ही यह बडे साहस के कामों में से एक है. -हजरत मुहम्मद पैगम्बर (कुरान शरीफः 42/43)

क्षमा करने की आदत डाल, नेकी का हुक्म देता जा और जाहिलों से दूर रह. -हजरत मुहम्मद पैगम्बर (कुरान शरीफः 7/199)

जो गुस्सा पी जाते हैं और लोगों को माफ कर देते हैं, अल्लाह ऐसी नेकी करनेवालों को प्यार करता है. -हजरत मुहम्मद पैगम्बर (कुरान शरीफः 3/134)

अपने शत्रुओं से प्रेम रखो और जो तुम्हें सताता है, उसके लिए प्रार्थना करो. -बाइबिल, नया नियम (मत्तीः 5/44)

वैरी से मत हारो, बल्कि क्षमा से वैरी को जीत लो. -बाइबिल, नया नियम (रोमियों: 12/21)

प्रार्थना में यदि किसी के प्रति तुम्हारे मन में कोई विरोध खड़ा हो, तो तत्काल क्षमापना कर दो, अन्यथा परम पिता तुम्हें क्षमा नहीं करेगा. -बाइबिल, नया नियम (मरकुसः 11/25-26)

हे पिता! इन्हें क्षमा करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं. -बाइबिल, नया नियम (लूकाः23/24)

यदि कोई दुर्बल मनुष्य तुम्हारा अपमान करता है, तो उसे क्षमा कर दो, क्योंकि क्षमा करना वीरों का काम है. -गुरू गोविन्दसिंह

परदेशी से भी प्रेम कर, अपने मन में किसी के प्रति वैर या दुश्मनी का भाव मत रख. -यहूदी धर्म प्रवर्तकः यहोवा (लैब्य-व्यवस्थाः 19/17)

यदि तुम्हारा शत्रु तुम्हें मारने आए और वह भूखा-प्यासा तुम्हारे घर पहुंचे, तो तुम उसे खाना दो, पानी दो. -यहूदी धर्म प्रवर्तकः यहोवा (नितिः 25/21 मिदराश)

मन से सदैव यही सोचो कि सभी मेरे भाई हैं और उनके प्रति मैंने किसी भी तरह का कोई अपराध किया हो, तो प्रभु मुझे क्षमा करो. -पारसी धर्म प्रवर्तक जरथुश्त्र (पहेलवी टेक्स्ट्स)

अवरद्धेसु वि खमिउं, सुयणोच्चिय नवरि जाणेइ।

अपने प्रति किये अपराधों को भी क्षमा करना केवल सज्जन ही जानता है. -महाकवि हाल (वज्जालग्गं: 44)

जग में बेरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय, तुलसी इतना याद रख, दया करे सब कोय. -संत तुलसीदास

जिस मनुष्य के हाथ में क्षमारूपी शस्त्र हो, उसका दुष्ट क्या बिगाड़ सकता है? यदि दावाग्नि में तृण न पड़े, तो वह स्वयं ही बुझ जाती है. -संत तुकाराम (तुकाराम अभंग गाथा, 3995)

जो अपने दुश्मनों को क्षमा कर देते हैं, वे स्वर्ण की तरह बहुमूल्य समझे जाते हैं. -संत तिरूवल्लुवर

क्षमा ही मूलं सर्वतपसाम्।

क्षमा सभी तपस्याओं का मूल है. -बाणभट्ट (हर्षचरितः 12)

संसार में ऐसे अपराध कम नहीं हैं कि जिन्हें हम चाहें और क्षमा न कर सकें. -शरतचंद्र चट्टोपाध्याय (गृहदाह, पृष्ठ-261)

रोक लो गर गलत चले कोई, बख्श दो गर खता करे कोई. -गालीब (दीवान)

दण्ड देने की शक्ति होने पर भी दण्ड न देना सच्ची क्षमा है. -महात्मा गांधी सर्वोदय, 98

क्षमा पर मनुष्य का अधिकार है, वह पशु के पास नहीं मिल सकती. -जयशंकर प्रसाद (स्कंदगुप्त, द्वितीय अंक)

क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो. उसको क्या, जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो? -रामधारीसिंह दिनकर’ (कुरूक्षेत्र, तृतीय सर्ग)

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