शनिवार, 20 दिसंबर 2014

धनादि की अपेक्षा विनयादि अधिक अच्छे लगते हैं?


आप यह विचार करिए कि आपको सचमुच अच्छा क्या लगता है? धन अच्छा लगता है या विनय? आपके प्रति दूसरे विनय का व्यवहार करें, यह तो आपको अच्छा लगता है, परन्तु आप स्वयं दूसरों के प्रति योग्य रीति से विनय का व्यवहार करें, यह आपको अच्छा लगता है या नहीं? आप विनय के स्थान पर विनय कर सकें, यह आपको अधिक अच्छा लगता है या धन आपको अधिक अच्छा लगता है? आप स्वयं धनवान हों, यह आपको अच्छा लगता है या आप स्वयं विनयवान हैं, यह आपको अच्छा लगता है? आप कदाचित यह कहें कि हमें तो धन भी अच्छा लगता है और विनय भी अच्छा लगता है।परन्तु, यदि आपको धन और विनय, इन दो में से एक का ही चयन करना हो, तो आप धन को पसंद करेंगे या विनय को? इसी तरह यौवन और विवेक, इन दो में से आप यौवन पसंद करेंगे या विवेक? चतुराई और मन की प्रसन्नता में से चतुराई को पसंद करेंगे या मन की प्रसन्नता को? देह की निरोगता और सुनिर्मलशील सम्पन्न देह में से आप निरोगता पसंद करेंगे या सुनिर्मल शील सम्पन्न देह पसंद करेंगे? और इष्ट वस्तुओं का मिलाप और मोक्षमार्ग का मिलाप, इन दोनों में से आप इष्ट वस्तुओं का मिलाप पसंद करेंगे या मोक्ष मार्ग का मिलाप पसंद करेंगे?

आप यथार्थवादी बनकर ऐसा भी कह सकेंगे कि मुझे धन अच्छा तो लगता है, परन्तु धन इतना अच्छा नहीं लगता, जितना विनय अच्छा लगता है। मुझे यौवन अच्छा लगता तो है, परन्तु यौवन इतना अच्छा नहीं लगता, जितना विवेक अच्छा लगता है। मुझे चतुराई अच्छी तो लगती है, परन्तु इतनी अच्छी नहीं लगती है, जितनी मन की प्रसन्नता अच्छी लगती है। मुझे निरोग देह अच्छी लगती है, परन्तु वह इतनी अच्छी नहीं लगती है, जितनी मेरी देह की सुनिर्मल शील सम्पन्नता अच्छी लगती है। और मुझे इष्ट वस्तुओं का मिलाप अच्छा तो लगता है, परन्तु इतना अच्छा नहीं लगता, जितना मुझे मोक्षमार्ग का मिलाप अच्छा लगता है। इतना भी यदि आप सही रूप में कह सकने की स्थिति में हैं तो अवश्य ऐसा कहा जा सकता है कि आप अपनी भाग्यशालिता को पहचानने की योग्यता रखते हैं!

मूल बात यह है कि आज आप में से बहुत से जिस-जिस में भाग्यशालिता मानते हैं, उसमें तो प्रायः मिथ्यादृष्टि भी अपनी भाग्यशालिता मानते हैं। आज आप श्रीमंत हों या न हों, आपको आज यहां-वहां आदर मिलता हो या अनादर मिलता हो और स्त्री-संतान आदि आपका परिवार आपके अनुकूल हो या न हो तो भी आप भाग्यशाली हैं, ऐसा हम तो ज्ञानी जनों के वचनानुसार कहते हैं। और इसीलिए, आपकी यह सच्ची और अच्छी भाग्यशालिता आपके ध्यान में आए और आपको मिली हुई इस भाग्यशालिता को आप सफल बना सकें।-आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा

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