‘मुझे यह शरीर
छोडकर अन्यत्र जाना है’, इस बात को आज लगभग सभी भूल गए हैं।
‘यहां से जाने के
बाद मेरा क्या होगा?’ यह चिन्ता आज लगभग नष्ट हो गई है। "मैं मरने वाला हूं", यह खयाल हर पल
रहे तो जीवन में बहुत-सी समझदारी आ जाए। भावी जीवन को मोक्ष मार्ग का आधार बनाने
के प्रयत्न शुरू हो जाएं। सिर्फ वर्तमान की क्रियाएं, पेट भरना, बाल-बच्चे पैदा
करना और मौजमजा करना, ये क्रियाएं तो कौन नहीं करता है? तुच्छ प्राणी भी अपने रहने के लिए
घर बना देते हैं, वर्तमान की इच्छापूर्ति करते हैं और विपत्ति में भागदौड भी करते हैं। मात्र
वर्तमान का विचार तो क्षुद्र जंतुओं में भी होता है। भावी जीवन का विचार छोडकर जो
सिर्फ वर्तमान के ही विचारों में डूबा रहता है, वह अपने
कर्त्तव्य पालन से च्युत हुए बिना नहीं रहता है।-सूरिरामचन्द्र
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