शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

संसार विषतुल्य है


मदारी सांप से आजीविका चलाता है, किन्तु कितना सावधान रहता है। मदारी सांप का जहर निकाल देता है, फिर भी वह सांप नुकसान न पहुंचाए, इसलिए सावधान रहता है। जरूरत पडने पर व्यक्ति विषैली दवाई का उपयोग करता है, परन्तु वह जहर पेट में न चला जाए इसके लिए सावधान रहता है। इसी प्रकार संसार से भय लग जाना चाहिए, संसार के सुख भी दुःखरूप लगने चाहिए, क्योंकि संसार की पौद्गलिक वासनाएं आत्महित के लिए विषतुल्य हैं, यह खयाल सतत रहना चाहिए। संसार में रहते हुए भी कीचड-पानी में कमलवत निर्लिप्त रहें, संसार में दृष्टाभाव से रहें, संसार के जहर से बचकर रहें, राग-द्वेष-कषाय से बचकर रहें। -आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा

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