शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

कायरता से समाज सड़ता है


चलने दो, अपने को क्या करना है’, ऐसे मंद विचारों और लापरवाही, कायरता से समाज सड जाता है और फिर सडे हुए समाज में हृदय को हर्ष या तृप्ति नहीं मिलती, आत्मकल्याण का मार्ग निष्कंटक नहीं रह जाता, समाज शोषित हुआ चला जाता है। खेत के पाक को पूर्ण रीति से फलने देने के लिए पास ही उत्पन्न हुए कचरे का नाश करना ही चाहिए। फसल अच्छी हो इसके लिए खरपतवार को तो नष्ट करना ही पडता है। आप लोग धर्म-विरूद्ध प्रवृत्तियों को रोक नहीं सकते, इसी कारण तो हमें विरोध का झण्डा उठाना पडता है। -आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें