मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

शासन पर हमला असहनीय


शासन रहने वाला है, यह निश्चित है। पाखण्डी पैदा होंगे, यह भी निश्चित है। तो भी शासन के ऊपर के आक्रमणों को दूर करने का आराधकों को प्रयत्न करना चाहिए, यह भी निश्चित है। शक्ति के होते हुए भी जो पौद्गलिक इरादों से शासन पर होने वाले हमलों की उपेक्षा करे और उसका दर्द भी उनको न हो तो शासन के रहने पर भी वे शासन के विराधक ही बनेंगे। मुझे कोई गाली दे और मैं गुस्सा करूं, तो यह मेरी कमी है। किन्तु, शासन के ऊपर कोई आक्रमण करे और मैं गलत शान्ति का प्रयोग करूं तो आराधक साधु नहीं। जिसके बदौलत हमने सबकुछ पाया, जिन श्री जिनागम के योग से हमने जीवन की सार्थकता समझी, उनको कोई गाली दे, उसके लिए अंट-शंट बोले फिर भी हमें आघात न लगे तो यह बेशर्मी की हद है। संसार के मोह में फंसे हुए तथा प्रमादी बने हुओं को, स्वयं जागृत बनकर जागृत रखने का, आवाज देकर भी जागृत करने का काम हमारा है। यह न करें और मान-पान आदि के लिए खोटी शान्ति का दिखावा करें, शक्ति के होते हुए भी शासन का अपमान होने दें, तो हम अपराधी ही हैं। समता के नाम पर यहां चुप नहीं रहा जा सकता। -आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा

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