मंगलवार, 3 मार्च 2015

होली न खेलें !



एक निवेदन है। इस बार देश में स्वाइन फ्लू से दो हजार लोगों की मृत्यु हुई है। यह सरकारी आँकड़ा उन लोगों का है, जिन्होंने बड़े अस्पतालों में पहुंचकर दम तोड़ा है। वास्तविक आँकड़ा इससे काफी बड़ा है, क्योंकि ग्रामीण अंचल में इससे अधिक लोगों ने दम तोड़ा है।

दूसरी बात, बे मौसम बरसात और ओलावृष्टि ने हजारों किसानों को जीतेजी मार दिया है और आप पर भी इसका असर आनेवाले दिनों में पडनेवाला है।

ऐसे में इस बार पानी-रंग अथवा गुलाल से होली न खेलें। यह पानी, रंग, गुलाल मौसम के मद्देनजर आपके लिए भी जानलेवा हो सकता है। आपकी त्वचा खराब कर सकता है। रंग और गुलाल में क्या-क्या हैं, जो आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसका विश्लेषण यहां करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि विषय बहुत लम्बा है और विष काफी गंभीर परिणाम देने वाला।

खासकर वे लोग तो हर्गिज होली न खेलें, जिन्हें जुकाम, खांसी, अस्थमा है या जल्दी जुकाम होता है।

किसी को खेलना बहुत जरूरी लगे तो मुंह और ललाट पर नारियल तेल, सरसों का तेल या पोण्ड्स अथवा कोई अच्छी क्रीम गहरी लगाएं और केवल हल्का सा तिलक करवा लें।

अन्यथा इन केमिकल्स से खेलने की बजाय घर में परिवार व दोस्तों के साथ बैठकर शब्दों की पिचकारियां छोडें। हंसें-हंसाएं। लेकिन, इसमें भी मर्यादा का खयाल रहे।

बेहतर तो यह है कि प्रभु का स्मरण करें और आपदाओं से उबरने के लिए प्रार्थना करें।

आपको अच्छा लगे तो अधिक से अधिक लोगों तक यह संदेश अवश्य पहुंचाएं.

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