आज बुद्ध की शुद्ध मन से शुभकामनाएँ !
पहली अप्रैल की भी शुभकामनाएँ !
नए वित्तीय वर्ष की भी शुभकामनाएँ !
आज अप्रैल फूल न बनें, इसके लिए भी शुभकामनाएँ !
बहुत हो गया न ?
दरअसल आजकल बात-बेबात शुभकामनाएं प्रकट करने, देने का कुछ अजीबोगरीब फैशन चल गया है। पिछले दिनों जीवन में पहली बार शीतला सप्तमी
की शुभकामनाएं मिली। आपको शीतला सप्तमी की हार्दिक शुभकामनाएं! फिर तीन दिन बाद आपको
दशामाता की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! इसके बाद आपको गणगौर की बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक
शुभकामनाएं! वाह ! क्या बात है!! मुझे लगता है अच्छे दिन आ गए हैं। हम भारतीयों की
उदारता जगजाहिर हो रही है। क्यों नहीं सप्ताह के सातों दिन हर दिन की शुभकामना दी जाए।
आपको सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं! आपके लिए मंगलवार का दिन मंगलकारी हो! इसी तरह.......।
और एकम, बीज, तीज.......चौदस......अमावस की भी शुभकामनाएं कि आप अमावस के अंधकार से मजबूती के
साथ लोहा ले सकें और पूर्णिमा का प्रकाश प्राप्त कर सकें। एक तारीख, दो तारीख......और इगत्तीस तारीख की भी शुभकामनाएं दी जा सकती
हैं। दरअसल इस आर्यदेश, आर्य
संस्कृति में तो हर घडी, हर पल
के लिए शुभकामनाओं का प्रावधान है, बशर्ते
उसमें दिखावा, प्रदर्शन, आडम्बर, छलावा, स्वार्थ या औपचारिकता न हो, किसी के अधिकारों का हनन न हो, दिल से
प्राणीमात्र के लिए शुभकामनाएं हो!-मदन मोदी
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