रविवार, 8 अप्रैल 2012

भ्रष्टाचार मिटाने के लिए ठोस रणनीति का अभाव

पहले अपने इलाके में बदलाव लाएं-अन्ना हजारे
भ्रष्टाचार मिटाने के लिए ठोस रणनीति का अभाव

कोई भी राजनीतिक दल भ्रष्टाचार को खत्म नहीं करना चाहता। बातें सभी करते हैं, किन्तु किसी में ऐसी इच्छाशक्ति नहीं है, क्योंकि भष्ट लोग सभी पार्टियों प्रभुत्व रखते हैं। अन्यथा, लोकपाल विधेयक तो जब पास होना होगा तब होगा, क्योंकि बहुमत का रोना है, लेकिन मौजूदा कानूनों के अंतर्गत तो जहां जिस पार्टी की सरकार है, कार्यवाही करे, लेकिन नहीं होती। एक छोटी-सी लेकिन बहुत बडी बात है कि जितने भी निर्माण विभाग हैं, उनमें भ्रष्टाचार एक शिष्टाचार बना हुआ है, किसी को कुछ मांगना नहीं पडता। सबका प्रतिशत निर्धारित है, बाबू, लेखाकार, जेइएन, एईएन, एक्सियन। बिल तभी पास होता है, जब सबको अपना-अपना हिस्सा मिल जाता है।

देश के निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के कारण ही सडकें और पुल एक बारिश में ही बह जाते हैं और कोई कुछ नहीं बोलता। कई सडकें कागजों में बन जाती है, मौके पर नहीं मिलती। यह हकीकत कई जगह मैं बता सकता हूं। यदि कोई नेता, अफसर देश के प्रति संजिदा है, यदि कोई राजनीतिक दल देश के प्रति वास्तव में ईमानदार है तो कम से कम देश के विकास और निर्माण में होने वाले भ्रष्टाचार को तो रोके, बाकी लडाई आगे और हो जाएगी। अन्नाजी, केवल अनशन और लोकपाल से कुछ नहीं होगा, गांव-गांव, गली-गली जागरूकता चाहिए, उसके लिए आप के साथियों को वहां अड़ियल या तानाशाही रवैया अपनाने की बजाय अपनी ठोस रणनीति बनानी चाहिए, व्यापक मंथन इसके लिए होना चाहिए। अनशन, धरने, प्रदर्शन केवल दिल्ली में ही नहीं पूरे देशभर में चाहिए.

रामदेवजी ने देश के कई हिस्सों में यात्रा की लेकिन उनका फोकस दिल्ली पर ही रहा, यदि वे जहाँ गए वहां साथ-साथ स्थानीय भ्रष्टाचार को भी मुद्दा बनाते और स्थानीय लोगों को धरने पर बिठाते हुए आगे बढते तो उन्हें ज्यादा सफलता मिलती.

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