रविवार, 12 जनवरी 2014

'आप' से ले सबक


भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और मंहगाई से त्रस्त राजस्थान की जनता ने विधानसभा चुनावों में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत से जिताया है। भाजपा को यहां ऐतिहासिक बहुमत मिला है फिर भी पिछले एक माह में वह राज्य की जनता के लिए कोई ठोस कल्याणकारी कदम नहीं उठा पाई है। केवल अफसरों के तबादलों और सादगी की लफ्फाजी करने में ही लगी है, जबकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अल्पमत में होते हुए भी प्रतिदिन कोई न कोई ऐतिहासिक फैसला व्यापक जनहित में लेकर जनता को राहत दी है। कौनसी सरकार कितने समय चलेगी, जनता के लिए इस समय यह महत्त्वपूर्ण नहीं है, महत्त्वपूर्ण यह है कि जनता के लिए कौन क्या करता है।

आप पार्टी ने दिल्ली में सत्ता संभालते ही बिजली की दरें आधी कर दीं, 600 लीटर पानी मुफ्त कर दिया, ऑटो चालकों के लिए लाइसेंस का रास्ता खोल दिया, ताकि वे रोजगार पा सकें, लोगों को जल्द न्याय मिले इसके लिए 45 नई अदालतें खोलने के आदेश दे दिए, रेन बसेरों की व्यवस्था कर दी, निजी स्कूलों की मनमानी-धांधली-फीस-डोनेशन आदि पर अंकुश लगा दिया; इस प्रकार लगातार कुछ न कुछ किया ही जा रहा है। अब संविदाकर्मियों को दो माह के अन्दर स्थाई करने की कवायद शुरू हो गई है।

ध्यान रहे राजस्थान जैसे सामंती मानसिकता वाले राज्य में भी आम आदमी का सोच करवट ले रहा है। यहां विधानसभा चुनावों में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिला है, किन्तु भाजपा को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि लोकसभा चुनावों में भी बिना कुछ किए यह सफलता मिल जाएगी। भाजपा के पास आचार संहिता लगने से पहले कुछ कर दिखाने के लिए अब केवल डेढ़ माह का वक्त है। इस डेढ़ माह में भी 'आप' की तर्ज पर राज्य सरकार बहुत कुछ कर सकती है। बल्कि राजस्थान में तो दिल्ली से अधिक करने की काफी गुंजाईश है, क्योंकि यहां दिल्ली की तुलना में पांच सौ गुना अधिक भ्रष्टाचार है। राजस्थान में कौनसा दफ्तर है जहां भ्रष्टाचार और कामचोरी नहीं है?

सबसे पहले राजस्थान में भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए एक लोकायुक्त की नियुक्ति करे, जितने भी संविदाकर्मी शोषण का शिकार हैं, उन्हें स्थाई किया जाए। 'राजस्थान स्टेट एड्स बचाव एवं नियंत्रण सोसायटी' को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की 'एड्स बचाव एवं नियंत्रण इकाई' में तब्दील किया जाए, एनआरएचएम को भी विभाग का ही एक ग्रामीण स्वास्थ्य अनुभाग बनाया जाए और इनमें काम कर रहे संविदाकर्मियों को उन्हीं पदों पर तत्काल प्रभाव से स्थाई किया जाए। इन विभागों में भयंकर भ्रष्टाचार है, उस पर अंकुश के कडे कदम उठाए जाएं। विश्वविद्यालयों में कार्यरत संविदाकर्मियों को तुरंत प्रभाव से स्थाई किया जाए। मनरेगा में कार्यरत कर्मियों को पंचायतीराज के तहत स्थाई किया जाए। इच्छाशक्ति हो तो यह सबकुछ सप्ताह दस दिन में हो सकता है।

बिजली की दरें भी यहां आधी हो सकती हैं, यदि विद्युत निगमों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लग जाए। बिजली के मीटरों में, ट्रांसफर्मर्स में और अन्य जगहों, छीजत आदि में बहुत घेटाले हैं।

माइनिंग में व्याप्त भयंकर भ्रष्टाचार रूके तो सरकार को यहां से प्राप्त होने वाला राजस्व पचास गुना बढ सकता है। यदि सरकार को मालूम न हो तो हम बता सकते हैं कि किस प्रकार और कहां-कहां गैरकानूनी, अनियंत्रित और अवैज्ञानिक खनन हो रहा है और माइनिंग माफिया किस प्रकार धरती मां को लूट रहा है, सरकार को कहां-कहां चूना लग रहा है और इस माफिया में कौन-कौन राजनेता व अफसर मिले हुए हैं? इस आय वृद्धि से राजस्थान समृद्ध बन सकता है, तेल रिफाइनरी से यह समृद्धि और बढ़ सकती है, इस आधार पर यहां शराबबंदी हो सकती है. आबकारी में होनेवाली आय कम होगी तो उसका राज्य की अर्थ व्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा.

जलदाय विभाग अकाल हो या सुकाल चौबीसों घण्टे न्यूनतम दर पर जल आपूर्ति कर सकता है, जबकि अभी 1986 से उदयपुर जैसे शहर में भी पांतरे पानी दिया जा रहा है, योजनाओं में भारी कामचोरी और भ्रष्टाचार यहां है। पिछले 27 वर्षों में पानी के नाम पर करोडों रुपये पानी की तरह बहाए गए हैं और सारा बहाव नेताओं व अफसरों के घरों की ओर ही रहा है, मतलब की करोडों रुपयों का भ्रष्टाचार है। पानी के मीटरों में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है। बोझ तो आम आदमी पर ही है न !

केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लालबत्ती हटा देना या 'आप' के भय से सादगी का दिखावा कर लेना ही अब पर्याप्त नहीं है।

दिल्ली में 'आप' के कदमों की आहट से जो संदेश निकल रहे हैं, उन्हें भाजपा को गम्भीरता से लेना चाहिए। नरेन्द्र मोदी के कारण युवाओं में जो एक जोश जागा था, उसके दिशा बदलने और करवट बदलने के खतरे बढ गए हैं। ऐसे में तत्काल कुछ ठोस काम करने को तत्पर होना चाहिए, अन्यथा सनद रहे जिन्दा कौम पांच साल इंतजार नहीं करती।

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